Hindi Poem: कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हीं 2023

Hindi Poem: कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हीं 2023

Hindi Poem: कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते,

 मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती जिनके इरादे अच्छे नहीं होते,

रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंगी में,

लेकिन आ देख रहा हूँ कि सलता के फ कभी कच्चे नहीं होते,

इंसान ने क्त से पूछा….. मैं हा क्यूं जाता हूँ ?

वक्त ने कहा…  धूप हो या छा हो, काली रात हो या बसात हो,

मैं हर वक्त चता रहता हूँ, इसलिए मैं जीत जाता हूँ,

तू भी मेरे साथ चल, कभी नहीं हारेगा…… ऊँचे ख्वाबों के लिए |

 

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