Hindi poetry (शायरी): हक़ीक़त को तुम और हम जानते हैं। मोहबत को तुम और 2023

Hindi poetry (शायरी): हक़ीक़त को तुम और हम जानते हैं। मोहबत को तुम और 2023

Hindi poetry (शायरी): हक़ीक़त को तुम और म जानते हैं।
मोहबत को तुम और म जानते हैं।

मैं क्या इसके बारे में मंज़िल से पूछूँ,
थकन मेरी मेरे क़दम जानते हैं।

हमें भूल जाने की आदत है तुम्हे, लेकिन
तुम्हे हम तुम्हारी क़सम जानते हैं।

है छुपना कहाँ और हना कहाँ है,
ये आंसू सब अपना धरम जानते हैं।

लकती है क्यों आँख हमको पता है,
कहाँ सब बिछड़ने का ग़म जानते हैं |

कर दिया तो है तुमने मजबूर कैसे बताये,
जालों की तकलीफ म जानते हैं |

जो कुछ भीमें हैं, इस जहाँ में
हम उसको खुदा का रम जानते हैं।

CHAIRMAN & MANAGING DIRECTOR

न्हा मौसम है और दास ‎रात है,
वो मिल के बिछड़ गये ये ‎कैसी मुलाक़ात है,
दिल धड़क तो रहा है मगर ‎वाज़ नही है,
वो ड़कन भी साथ ले गये ‎कितनी जीब बात है!

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