POEM & कविता: हमें बड़ी ग़लतिया से ज्यादा छोटी ग़लतिया से डरना चाहिए
हमें बड़ी ग़लतिया से ज्यादा
छोटी ग़लतिया से डरना चाहिए
क्योंकि ठोकरे पत्थर से लगती है
पहाड़ से नहीं।
नम्रता से बात करना
हर एक का आदर करना
शुक्रिया अदा करना
और
माफी मॉगना
ये गुण जिसके पास हैं
वो सदा
सबके करीब औऱ
सबके लिये खास है
सामने हो मंजिल तो
रास्ते न मोड़ना,
जो भी मन में हो
वो सपना न तोड़ना
कदम कदम पे
मिलेगी मुश्किल आपको,
बस सितारे चुनने
के लिए जमीन मत छोड़ना
जैसे दीये को जलने के
लिए तेल के साथ बाती की
आवश्यकता होती है
ठीक वैसे ही मनुष्य को
सफलता के लिए
आत्मविश्वास की
आवश्यकता होती है
“हर इंसान में कुछ न कुछ
प्रतिभा होती है
लेकिन अक्सर लोग
इसे दूसरों के जैसा बनने में
नष्ट कर देते हैं”